यह स्थल गुजरात में है| यह स्थान प्राचीनकाल में शिक्षा, धर्म एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध रहा है| इसी स्थल पर द्वितीय बौद्ध संगीति हुई थी| गुप्तोत्तरकाल में यहाँ मैत्रक वंश का शासन रहा| हर्षवर्धन ने अपनी पुत्री का विवाह यहाँ के शासक ध्रुवसेन से किया था| यहाँ से पश्चिमी देशों से व्यापार भी नियन्त्रित होता था| जैन अनुश्रुति के अनुसार जैन धर्म की एक परिषद छठीं शताब्दी में वल्लभी में हुई थी, जिसके अध्यक्ष देवर्धिगण नामक आचार्य थे| यहाँ एक विश्वविद्यालय भी था जिसे 7वीं सदी में नालन्दा के समान ख्याति प्राप्त थी| यहाँ राजकुमारी टिड्डा व धरसेन द्वारा विहार बनवाये गये| आचार्य स्थिरमति व गुणमति यहाँ के आचार्य थे| यहाँ तर्क, व्याकरण, व्यवहार व साहित्य की शिक्षा दी जाती थी| 770 में इसे अरबों द्वारा नष्ट कर दिया था|
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