भरतपुर
जिले में स्थित इस दुर्ग का निर्माण राजा सूरजमल ने 1733 में करवाया| इससे पहले
इसी स्थान पर खेमकरण जाट ने मिट्टी की एक गढ़ी बनवाई| इस किले की दीवारें इतनी मोटी
हैं कि दो ट्रक एक साथ निकल सकते हैं| इस किले की सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर
सुजान गंगा नहर बहती है| 1765 में दिल्ली विजय के बाद महाराजा जवाहर सिंह दिल्ली
से अष्टधातु निर्मित एक मजबूत व कलात्मक दरवाजा लेकर गये थे जिसे इस किले के
प्रवेश द्वार में लगवाया गया है| इसकी मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता
है अंग्रेज जनरल लार्ड लेक ने 5 बार यहाँ चढ़ाई की किन्तु जीत नहीं पाया|
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