यह स्थल राजस्थान राज्य में भरतपुर जिले में यमुना की सहायक नदी रूपारेल के
तट पर है| यहाँ दोआब संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट है| यहाँ से काले व लाल
रंग के मृणपात्र प्राप्त हुए हैं| यहाँ से 'पाप ह्त्तस' के अंकन से युक्त
मुद्रा एक हवन-कुण्ड के समीप से प्राप्त हुई है जो वैदिक धर्म की
पुनर्स्थापना का प्रतीक है|
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें