यह स्थल जयपुर के पास है, यहाँ से श्री दयाराम शास्त्री के नेतृत्व में हुए
उत्खनन में स्लेटी रंग के चित्रित मृणपात्र प्राप्त हुए हैं| मौर्य काल
में यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था| यहाँ से एक शिलालेख प्राप्त हुआ
जिसमें अशोक अपना बौद्ध होना स्वीकार करता है|
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें