राजस्थान
स्थित चित्तौड़ शिशोदियावंशीय शासकों की आन बान और शान का प्रतीक रहा है|
1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस पर आक्रमण कर दिया| यहाँ के शासक राणा रतन
सिंह पराजित हुए| राणा कुम्भा जिसका शासन 1433 से 1468 में रहा उसने यहाँ
कई इमारतें बनवाईं| 1534 में बहादुरशाह ने इस पर आक्रमण किया तब यहाँ की
शासिका कर्मवती थीं उन्होंने हुमायूं को राखी भेजी किन्तु हुमायूँ ने उसकी
कोई सहायता नहीं की|यहाँ के स्मारकों में नौमन्जिला कीर्ति स्तम्भ (122 फुट
ऊँचा लगभग),विजय स्तम्भ, कुम्भ श्याम सुन्दर मन्दिर, गोमुख कुण्ड और तुलजा
माता का मन्दिर प्रमुख हैं| भामाशाह की हवेली तथा पद्मिनी महल भी यहाँ
दर्शनीय हैं| यहाँ के दुर्ग की लम्बाई ८ किमी व चौड़ाई 2 किमी है तथा यह
राजस्थान का सबसे बड़ा दुर्ग है जिसमे जयमल व कल्ला राठौर की छतरियां हैं|
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