अब आज और कल (20/12/2017 & 21/12/2017) इतनी भी ठण्ड नहीं थी कि छुट्टी घोषित कर दी जाये| मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि पर्वतीय प्रदेशों में कभी स्कूल खुलते भी होंगे जहाँ रोज ही इतनी ठण्ड होती है| जब मैं स्कूल में पढ़ता था तब शीतकालीन अवकाश इतने बड़े पैमाने पर घोषित नहीं किये जाते थे| तब शायद शीत भी अब से ज्यादा होती थी| तो अब ऐसा क्या हो गया कि जरा सा छींक आने पर स्कूल बंद कर दो| आपको पता हो इसका सबसे बड़ा नुकसान देहात क्षेत्र के बच्चों को होता है| जिनके लिए न तो घर पर ट्युशन ही उपलब्ध होती है न माँ बाप ही इतने पढ़े लिखे होते हैं कि वे बच्चों को खुद पढ़ा सकें| समझना होगा देहात क्षेत्र में अवकाश का मतलब बस्ता बंद| तो ऐसे में छुट्टियों का निर्णय सोंच विचार कर लिया जाना चाहिए| वैसे भी छुट्टी घोषित कर दो तो बच्चे घरों में कैद होकर नहीं रह सकते वे तो उधम मचाते गलियों में ही अच्छे लगते हैं उन्हें कोई रोक नहीं सकता| यह छुट्टी सिर्फ कामचोरों के लाभ की हो सकती है| कुल मिलाकर बालकों का हानि पहुंचायेगी| छुट्टी तभी होनी चाहिये जब वास्तव में उसकी आवश्यकता हो|
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