सोमवार, 27 जनवरी 2025

एक दिन तय है

पत्ता पत्ता बूटा बूटा झड़ जायेगा एक दिन तय है।
नीरस डाल छोड़ कर पक्षी उड़ जायेगा एक दिन तय है।।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जप जप, काया माया बसी रही मन।
धर्म-कर्म का मधुर फलाफल सड़ जायेगा एक दिन तय है।।
अपने और पराए गिन गिन, मन को मथते रहते हैं हम।
छल प्रपंच का हर मंदराचल, अड़ जायेगा एक दिन तय है।।
सबको विन्डो सीट चाहिये, सबके अपने-अपने कारण,
लड़ते लड़ते चैन हृदय में, पड़ जायेगा एक दिन तय है।।
चिन्तन मेरा बिल्कुल पिछड़ा, जैसे दादा जी का बक्सा।
अगड़ी सोचों की नजरों में, गड़ जायेगा एक दिन तय है।।

गुरुवार, 9 जनवरी 2025

कई दिनों के बाद

आज सुबह रवि जल्दी जागा, कई दिनों के बाद।
और देह का आलस भागा, कई दिनों के बाद।
आज अलगनी पर कपड़े हैं, कई दिनों के बाद।
छत पर चढ़ी गुलब्बो मेरी, कई दिनों के बाद।
दादा जी ने कम्बल त्यागा, कई दिनों के बाद।
दादी जी का सम्बल जागा, कई दिनों के बाद।
चुन्नू मुन्नू द्वार खड़े हैं, कई दिनों के बाद।
मेरे मन में कविता आयी, कई दिनों के बाद।।

गुरुवार, 28 नवंबर 2024

प्रेम में

ऐसा भी क्या सुना दिया तुमने।
ताड़ तिल का बना दिया तुमने।
प्रेम को मन्त्र सा छिपाया था,
सारी महफ़िल जना दिया तुमने।
प्यार में डर से डर नहीं लगता।
जान जाने पे कर नहीं लगता।
लोग हम पर उठायेंगे उॅंगली,
थोड़ा भी बेहतर नहीं लगता।
भूल जाओ जो शूल बोये हैं।
शूलों संग हम सुमन से सोये हैं।
प्रेम में संग जब हॅंसे हम तुम,
याद होगा कि संग रोये हैं।

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

अजाब

लब पर है तेरा नाम और तस्वीर ख्वाब में।
बस इतना लिख सका हूॅं खत के जवाब में।।
हर ओर रोशनी की चाहत का शोर है,
हमने शमा छुपा ली दिल के हिजाब में।।
सोना खरीदते हैं बहुत जॉंच-परख कर।
कुछ बात देख ली है हमने जनाब में।।
दूभर उधर निकलना दूभर इधर भी रहना,
ठहरूॅं कहाॅं पे कैसे उलझा हिसाब में।।
हर ओर आईने हैं और आईने में तुम,
मैं खुद को खो चुका हूॅं कैसे अजाब में।।

हमारीवाणी

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