सोमवार, 22 सितंबर 2025

मीटर और फीते

हमारे मित्र कवि ने लिखा कि मीटर पर ध्यान न दें आजकल फीते से लिख रहे हैं तो उनको मेरी प्रतिक्रिया

हम तो हथेली से नाप लेते हैं,
बित्त दो बित्त।
अधिक हुआ तो हाथ आजमा लेते हैं।
नापना हो कोई बहुत छोटी चीज,
तो बाल, नाखून और उंगलियॉं भी,
नापने का काम करती हैं।
मीटर और फीते बहुत बाद में आये,
हमने ऑंखें बन्द कईं,
घुसे ध्यान में और नाप लीं,
ब्रह्माण्ड में नक्षत्रों की दूरियॉं।
कविता तो भावनाओं से नाप लेते हैं,
आपको पूरे सौ नम्बर देते हैं।
विमल

सोमवार, 9 जून 2025

घरवाली

जो घरवाली का कहा, मान न सकता मित्र।
उसे मिलें ससुराल से, चोटें बड़ी विचित्र।
चोटें बड़ी विचित्र, मिलें जो पूरी माने।
जोरू का है दास, सभी देते हैं ताने।
इसीलिए तू मान, कहे जो कुछ भी साली।
साली वश में होय, रहे वश जो घरवाली।।

मंगलवार, 3 जून 2025

एक बड़ा घर

एक बड़ा सा गॉंव का घर,
उन्नत मस्तक चूमे अम्बर,
जिसमें लग जाते सौ बिस्तर,
पूरे जवार में प्रबल प्रखर।
परिवार बढ़ा फैला लश्कर,
अब घर में हैं दर ही दर,
ऊॅंचाई घटी घट गया असर,
सिसक सिसककर करता बसर।

मंगलवार, 27 मई 2025

भण्डारा

भोजन उसे कराइए, उर से दे आशीष।
भण्डारे में कीजिए, तनिक न पैसा खीस।
तनिक न पैसा खीस, कीजिए फोटू खातिर।
लोग समझने लगे मियां तुम पूरे शातिर।
भण्डारे की आड़ दिख रहा अहं युक्त मन।
जब भूखा मिल जाए करा दो उसको भोजन।।


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