यह स्थान कर्नाटक के बीजापुर जिले में बादामी के पास है| यहाँ से 634 ईस्वी का नरेश पुलकेशिन द्वितीय का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जिसे संस्कृत में जैन कवि रविकीर्ति ने लिखा है| इसमें पुलकेशिन द्वितीय के हांथों हर्षवर्धन की पराजय का वर्णन है| ऐहोल को “मन्दिरों का नगर” भी कहा जाता है| ऐहोल के चालुक्य कालीन मन्दिरों में लाड़खान मन्दिर, दुर्गा मन्दिर और ह्च्चीमल्ली गुड्डी मन्दिर विशेष उल्लेखनीय है| लाड़खान मन्दिर 450 ईस्वी में बने हुए गुफा मन्दिरों की तरह का है| यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का प्रयोग है| इसका ढांचा अर्द्धवृत्ताकार है| यहाँ का मेगुत्ति का जैन मन्दिर भी प्रसिद्ध है|
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