शनिवार, 23 सितंबर 2023

ओ! सबकी सुधि रखने वाले!

.

२३//९६ जन-फर ९७ रश्मिरथी में प्रकाशित
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
एक बार मम गाँव द्वार पर निज नयनों में नेह धार धर।
हल्के हल्के उर सहला जा थका हुआ हूँ कुछ बहला जा।
करुणा की बरखा का मुझ पर तामझाम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
जाने कितनी बार निकट से सूक्ष्म रूप से या कि प्रकट से।
मुझे लगा यह अभी गये तुम टेरा तुमको किन्तु हुए गुम।
एक बार एक पल मेरे उर का विराम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
दे सका कुछ दे सकूँगा जो अर्पित निज कह सकूँगा।
किन्तु मुझे इतना अशीष दो तव चरणों नत रहे शीश दो।
तुझ पर श्रद्धा रहे अटल मम सुबह शाम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।


कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

अगर तुम पास आ जाओ

लगी है हाट जब सुन्दर तो कुछ तो क्रीत हो जाये।
उठो दौड़ो करो जल्दी न इच्छा शीत हो जाये।।
जहॉं निर्मल हृदय होगा अहम् से दूरियॉं होंगी।
सुकोमल मन मिले कोई न चाहे प्रीत हो जाये।।
हृदय का मूल्य वे देंगे स्वयं समृद्ध जो उर से,
सॅंभल कर कीजिये सौदा नहीं अनरीत हो जाये।।
न समझूॅं स्वर न जानूॅं लय विकल मैं रागिनी खोजूॅं।
अगर तुम पास आ जाओ तो फिर से गीत हो जाये।।
करूॅं साधन कहाॅं कितना यही आकर बता जाओ।
कठिन हो कर्म कितना भी सरलतम जीत हो जाये।।

बुधवार, 13 सितंबर 2023

यशोधरे! तुम जान पाईं

युवरानी जब सो जायेगी तब युवराज चलेगा वन को।
लुभा नहीं श्रृंगार सका यदि तो वैराग्य जमेगा मन को।।
इतना भी पहचान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
संतों का अपना स्वभाव है सम्राटों की अपनी लीला।
सुत का प्रेम पिता की आज्ञा कर न सकी नयनों को गीला।।
बाॅंध सको वह बान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
कितना कठिन फैसला होगा उर पर प्रस्तर लेकर जाना।
पद, पैसा, प्रिय पुत्र, प्रिया सबको तजकर सम्बन्ध भुलाना।।
तुम थोड़ा दे दान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
चले गए फिर वापस आये संन्यासी का वेश संवारे।
तब भी तुमसे बना नहीं यह स्वागत करतीं आतीं द्वारे।।
स्वामी का कर मान पाईं।
यशोधरे! तुम जान पाईं।।

सोमवार, 11 सितंबर 2023

जटिल घातांक-1

प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रायः बड़ी बड़ी घातांकों वाले प्रश्न पूछ दिये जाते हैं कि यदि उन्हें कागज कलम लेकर हल करने बैठेंगे तो हल करने में बहुत सा समय व्यर्थ चला जायेगा| यूँ तो यू ट्यूब पर तमाम वीडियो पड़े हैं लेकिन बहुत से वीडियो गलत जानकारी देकर कभी कभी छात्रों का अहित कर देते हैं| इसलिए मैं यहाँ हल करने का तरीका बताने के साथ सिद्ध भी करूँगा|
पहले प्रश्नों के कुछ उदाहरण देख लें फिर हल करने का तरीका बताते हैं|

`(17)^{200}\div 16` का शेषफल क्या होगा?`
`(25)^{25}\div 26` का शेषफल क्या होगा?
`(6)^{13}\div 5` का शेषफल क्या होगा?
`(126)^{227}\div 125` का शेषफल क्या होगा?
`(315)^{123}\div 314` का शेषफल क्या होगा?
`(423)^{200}\div 422` का शेषफल क्या होगा?
`(525)^{224}\div 524` का शेषफल क्या होगा?
`(346)^{154}\div 345` का शेषफल क्या होगा?
 तो प्रिय छात्र/छात्राओं इसमें कुछ भी हल न करते हुए सभी प्रश्नों का शेषफल 1 लिखना है|
ध्यान दें, उपरोक्त सभी प्रश्न    `(a+1)^{n}\div a`  प्रकार के हैं| सभी वे प्रश्न जिनमें भाज्य (भाग दिये जाने वाली संख्या) का आधार भाजक (भाग करने वाली संख्या) से 1 अधिक हो, उनमें भागफल सदैव 1 आयेगा| आधार के घातांक से कोई लेना देना नहीं| घातांक कुछ भी हो|
अब प्रश्न है ऐसा क्यों? तो ध्यान दें|
`(a+1)^{2}\div a` = `(a^{2}+2a*1+ 1^{2})\div a`
                            = `(a^{2}+ 2a+ 1)\div a`                
इसी प्रकार 
`(a+1)^{3}\div a` = `(a^{3}+3a^{2}*1^{1}+ 3a^{1}*1^{2}+1^{3})\div a`
                            = `(a^{3}+3a^{2}+3a + 1)\div a`
तथा `(a+1)^{4}\div a` = `(a^{4}+4a^{3}*1^{1}+ 6a^{2}*1^{2}+4a ^{1}*1^{3}+1^{4} )\div a`
                            = `(a^{4}+4a^{3}+ 6a^{2}+4a +1)\div a`
उपरोक्त उदाहरणों  `(a+1)^{2}`, `(a+1)^{3}` तथा `(a+1)^{4}` में सभी का विस्तार करने पर हम देखते हैं कि घातांक 2 के विस्तार में 3 पद हैं घातांक 3 के विस्तार में 4 पद हैं तथा घातांक 4 के विस्तार में 5 पद हैं इसी तरह जैसे जैसे घातांकों की संख्या बढ़ेगी एक पद बढ़ जायेगा| इन सभी में अंतिम पद 1 होगा यही अंतिम पद जिसका मान है 1 समस्त पदों को a से भाग देने पर शेष रहेगा| प्रारम्भ के सभी पद a से विभाजित हो जायेंगे|
तो प्रिय छात्र/छात्राओं पुनः बताना चाहूँगा कि यदि भाज्य संख्या भाग देने वाली संख्या से एक अधिक है तो शेषफल सदैव 1 होगा भाज्य संख्या का घातांक कुछ भी हो|

अब निम्नलिखित प्रश्नों को देखें| 
1. `(17)^{200}\div 18` का शेषफल क्या होगा?
2. `(24)^{207}\div 25` का शेषफल क्या होगा?
3. `(107)^{15}\div 108` का शेषफल क्या होगा?
4. `(175)^{86}\div 176` का शेषफल क्या होगा?
5. `(455)^{999}\div 456` का शेषफल क्या होगा?
तो प्रिय छात्र/ छात्राओं यहाँ जो भाजक है वह भाज्य से एक कम है अर्थात निम्नलिखित प्रकार का मामला है|
`( a-1 )^{n}\div a`
इन प्रश्नों का उत्तर लिखते समय घातांक पर ध्यान दें| यदि घातांक एक सम संख्या अर्थात 2,4,6,8.10,12,.......... आदि है तो बिना सोचे बिचारे शेषफल 1 लिख दें अन्यथा शेषफल वह संख्या लिखें जिसे भाग दिया जा रहा है|
जैसे उपरोक्त उदाहरण 1 व 4 में शेषफल 1 है जबकि उदाहरण 2, 3, व 5 में शेषफल क्रमशः 17, 107 व 455 होगा|
ऐसा क्यों? तो ध्यान दें|
`(a-1)^{2}\div a` = `(a^{2}-2a*1+ 1^{2})\div a`
                            = `(a^{2}- 2a+ 1)\div a`                
इसी प्रकार 
`(a-1)^{3}\div a` = `(a^{3}-3a^{2}*1^{1}+ 3a^{1}*1^{2}-1^{3})\div a`
                            = `(a^{3}-3a^{2}+3a - 1)\div a`
तथा `(a-1)^{4}\div a` = `(a^{4}-4a^{3}*1^{1}+ 6a^{2}*1^{2}-4a ^{1}*1^{3}+1^{4} )\div a`
                            = `(a^{4}- 4a^{3}+ 6a^{2}- 4a +1)\div a`
  `(a-1)^{5}\div a` 
   = `(a^{5}-5a^{4}*1^{1}+ 10a^{3}*1^{2}-10a ^{2}*1^{3}-5a ^{1}*1^{4}+1^{5} )\div a`                           = `(a^{5}-5a^{4}+ 10a^{3}-10a ^{2}+5a -1 )\div a`

उपरोक्त उदाहरणों  `(a-1)^{2}`, `(a-1)^{3}`, `(a-1)^{4}` तथा `(a-1)^{5}` में सभी का विस्तार करने पर हम देखते हैं कि घातांक 2 के विस्तार में 3 पद हैं घातांक 3 के विस्तार में 4 पद हैं घातांक 4 के विस्तार में 5 पद हैं तथा घातांक 5 के विस्तार में 6 पद हैं इसी तरह जैसे जैसे घातांकों की संख्या बढ़ेगी एक पद बढ़ जायेगा| इन सभी में अंतिम पद 1 होगा किन्तु जहाँ जहाँ घातांक विषम हैं वहाँ यह 1 ऋण का है तथा जहाँ जहाँ घातांक सम है वहाँ यह 1 धन का है|  यही अंतिम पद जिसका मान है +1 समस्त पदों को a से भाग देने पर शेष रहेगा| प्रारम्भ के सभी पद a से विभाजित हो जायेंगे| किन्तु जहाँ अंतिम पद का मान है -1 वहाँ शेषफल आयेगा - 1| यदि यह विकल्प में है तो इसे शेषफल के रूप में लिखें अन्यथा शेषफल होगा a -1 अर्थात वह संख्या जिसे a से भाग दिया जा रहा है| उपरोक्त उदहारण 2,3 व 5 में यही होगा|

ध्यान दें, यदि शेषफल ऋणात्मक हो तो ऋणात्मक शेषफल को भाजक में से घटाकर धनात्मक शेषफल प्राप्त कर  सकते हैं|

 कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|

रविवार, 10 सितंबर 2023

कुविचारों की धूल छंटा दे

21/02/2017

चाहे जो इल्जाम सटा दे।
लिस्ट से मेरा नाम हटा दे।
तेरी हर हाँ पर हाँ कर दूँ,
अपने वश की बात नहीं है।
झूठ पे अपना नख ना काटूँ,
सच पर मैं जो शीश कटा दे।
क्या है प्रगति मनुज से पशु में,
अपनी समझ नहीं आता है,
जंगल से शहरों तक पथ पर,
कुविचारों की धूल छंटा दे।
अपनी छत अपनी दीवारें,
करने में षडयन्त्र जुटी हैं।
मुझ पर जो विश्वास नहीं है,
तो प्राणों का भाव घटा दे।


कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

इण्डिया बनाम भारत

हमारे गाॅंव-देहात में एक कहावत है कि "गुह मा ईंटइ डरिहौ तो छिट्टइ पैहौ"। जब से विपक्षी दलों ने इकट्ठे होकर अपने गठबंधन का नाम "इण्डिया" रख लिया तब से भाजपा को देश का नाम बदलकर भारत रखने की खुजली शुरू हो गई। यह वही भाजपा है जिसने अपने कार्यकाल में अपने अनेक कार्यक्रम इण्डिया के नाम पर शुरू किये हैं। उदाहरण के लिए, "मेक इन इंडिया, खेलों इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, फिट इण्डिया आदि।" यह वही भाजपा है जिसने मुलायम सिंह यादव के द्वारा सन 2004 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में लाये गये इण्डिया के स्थान पर देश का नाम भारत करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था। यह इस देश की राजनीति की बड़ी सुन्दर विशेषता है कि पक्ष से विपक्षी और विपक्ष से पक्ष में जाने पर नेताओं के चश्मे का नम्बर बदल जाता है।
विपक्ष भी यह भूल गया कि एक समय कहा गया था, "इन्दिरा इज इण्डिया एण्ड इण्डिया इज इन्दिरा"। कहना अलग बात थी और होना अलग। इन्दिरा चुनाव हार गईं और चापलूसों का दिया नारा फ्लॉप हो गया।" कुछ ऐसा ही पुनः होने जा रहा है। अन्तर मात्र इतना है कि आज एक समूह अपने को इण्डिया घोषित कर रहा है। 
कोई भी व्यक्ति या समूह अपना नाम इण्डिया रख ले तो उसका उद्धार तो होने से रहा। हॉं अपने कर्म बदल लें तो बात दूसरी है। जिसकी हाल साल में कोई सम्भावना नजर नहीं आती।
मैंने एक सोसायटी का रजिस्ट्रेशन 1998 में कराया था। आज भी कार्यरत है। नाम है, "भारतीय चेतना समिति" आजकल भारतीय, राष्ट्रीय आदि नामों से संस्थाओं के पंजीकरण नहीं होते। मैं सोचता हूॅं अगर मैंने समिति का नाम कुछ और रखा होता तो क्या अन्तर आता। शायद कुछ भी नहीं। 
अब चाहे विपक्ष अपना नाम इण्डिया रख ले या पक्ष इण्डिया के स्थान पर भारत शब्द का प्रयोग करे। आम आदमी पर इसका क्या प्रभाव होगा? संविधान में भले ही लिखा है, "इण्डिया दैट इज भारत" और राजनीतिक लिखा पढ़ी में देश विदेश में भले ही इण्डिया शब्द का प्रयोग किया जाता है, आम भारतीय जनमानस इस देश को भारत के नाम से ही जानता है। जब जब कोई सनातनधर्मी संकल्प के मन्त्र का उच्चारण करता है तो वह यही करता है,
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2080, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे दक्षिणायने ……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……. मासे …… पक्षे …….. तिथौ ……. वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी.देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले)पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये।
इस मन्त्र में कहीं इण्डिया शब्द का प्रयोग नहीं है। इस मन्त्र में स्पष्टतः भारतवर्ष शब्द का प्रयोग किया गया है।
पक्ष और विपक्ष जनहित के मुद्दों की उपेक्षा कर कृपया इस पर राजनीति न करें। इण्डिया को इण्डिया और भारत को भारत रहने दें। विपक्ष को चाहिए कि जनभावनाओं को समझकर ही किसी मुद्दे को हवा दे। आखिर विपक्ष को इसमें आपत्ति क्यों होनी चाहिए कि इण्डिया के स्थान पर शब्द का प्रयोग किया जाये। जब हम राष्ट्रगान का वाचन करते हैं तब भारत भाग्यविधाता शब्द का प्रयोग करते हैं न कि  इण्डिया भाग्यविधाता। विपक्ष को समझना चाहिए कि इण्डिया भारत  -भारत इण्डिया करके वह भाजपा को ही लाभ पहुंचायेगा। हाॅं यदि वह शान्त रहे तो शायद इण्डिया भारत -भारत इण्डिया के मुद्दे पर आम आदमी ध्यान ही न दे।
भाजपा को भी चाहिए यदि वह वाकई गम्भीर है तो संविधान में संशोधन कर "इण्डिया दैट इज भारत" शब्द समूह को हटाये और व्यर्थ का वितण्डा बन्द करे।

हमारीवाणी

www.hamarivani.com
www.blogvarta.com