यह स्थल तमिलनाडु में था| यहाँ से चोल
शासक परान्तक प्रथम का एक अभिलेख मिला है जो वहाँ के स्थानीय स्वायत्त शासन का पर
प्रकाश डालती है| यह शिलालेख मन्दिर की दीवार पर खुदा है| प्रशासन में स्थानीय
लोगों की भागीदारी व निर्वाचन की व्यवस्था थी| शासन समितियों को वरियम कहा जाता
था| बलंगाई एवं इदंगाई किए रूप में सामाजिक विभाजन की जानकारी मेरूर के शिलालेख से
मिलती है|
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