केन हतः
श्याममृगः, केन हता सुनन्दा?
केन टू
जी धनं हृता, केन आरुषी हता|
अद्यावधि
अनिर्णीता पदमार्गे मनुजतां,
केन
छिन्नभिन्ना कृता कश्कदाच वदिष्यति?
धन्याः
अभियोजकाः, धन्याः विवेचकाः,
धन्या
न्याय व्यवस्था, धन्या वयं जनाः|
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