यह स्थल राजस्थान जयपुर जिले में है| यहाँ से कर्नल टी0 एच0 हैंटले व दयाराम साहनी के नेतृत्व में अलग अलग स्थानों पर हुई खुदाई में बिभिन्न वस्तुएं प्राप्त हुई हैं| जिनमे गुप्तकालीन मृणपात्र, प्रतिहार काल के एक मन्दिर के अवशेष एवं मूर्तियाँ सम्मिलित हैं| यह स्थल प्राचीन बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है, यहाँ से एक टोटीदार कलश की प्राप्ति हुई है| कुषाण नरेश हुविष्क का एक तांबे का सिक्का, बन्दर की एक मूर्ति, महिषासुर मर्दिनी एवं शिव के त्रिनेत्र के चित्रण के साक्ष्य भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं|
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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017
सांभर या शाकम्भरी
यह स्थल राजस्थान जयपुर जिले में है| यहाँ से कर्नल टी0 एच0 हैंटले व दयाराम साहनी के नेतृत्व में अलग अलग स्थानों पर हुई खुदाई में बिभिन्न वस्तुएं प्राप्त हुई हैं| जिनमे गुप्तकालीन मृणपात्र, प्रतिहार काल के एक मन्दिर के अवशेष एवं मूर्तियाँ सम्मिलित हैं| यह स्थल प्राचीन बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है, यहाँ से एक टोटीदार कलश की प्राप्ति हुई है| कुषाण नरेश हुविष्क का एक तांबे का सिक्का, बन्दर की एक मूर्ति, महिषासुर मर्दिनी एवं शिव के त्रिनेत्र के चित्रण के साक्ष्य भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं|
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