इस
नगर की स्थापना 1459 में राव जोधा द्वारा की गयी थी| उसने अपनी राजधानी मंडोर से
हटाकर जोधपुर को बनाया था| जब शेरशाह सूरी ने यहाँ के शासक मालदेव को सेमल के
युद्ध में हराया तो शेरशाह ने कहा था कि “एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान
की बादशाहत खो देता”| औरंगजेब के समय जोधपुर का शासक जसवंत सिंह था| जोधपुर का
किला 120 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है| दुर्ग के भीतर राजप्रसाद, शस्त्रागार,
मोतीमहल, जवाहर खाना आदि मुख्य इमारते हैं| किले के उत्तर की ओर ऊँची पहाड़ी पर थड़ा
नामक एक भवन है जो पूरी तरह संगमरमर का बना है| जोधपुर की विशेषता यहाँ की कृत्रिम
झीलें और कुएं हैं|
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