हम सब कवि हैं।
अपने रोजमर्रा के जीवन में
हम कई बार कविता में ही बतियाते हैं।
सवेरे सवेरे पति पत्नी
किस तरह कविता में ही बात करते हैं
उसका एक नमूना देखें।
अपने रोजमर्रा के जीवन में
हम कई बार कविता में ही बतियाते हैं।
सवेरे सवेरे पति पत्नी
किस तरह कविता में ही बात करते हैं
उसका एक नमूना देखें।
तौलिया कहाँ है?
अरे! वहीं तो टंगा है,
अलगनी पर देखते नहीं हो।
अरे! वहीं तो टंगा है,
अलगनी पर देखते नहीं हो।
अ हाँ मिल गया और जूते?
जूते! कितनी बार कहा है,
अलमारी में।
ठीक से सहेजते नहीं हो।
जूते! कितनी बार कहा है,
अलमारी में।
ठीक से सहेजते नहीं हो।
हूँ! तुम भी कितनी जल्दी
तुनक जाती हो?
क्यों? पूरे घर का ठेका ले रखा है।
क्यों? पूरे घर का ठेका ले रखा है।
तो इसमें मैं क्या करूं?
अरे मैं पूरे घर में झाडू लगाती हूँ, तुम कूड़ा तक नहीं फेंकते हो।
अरे मैं पूरे घर में झाडू लगाती हूँ, तुम कूड़ा तक नहीं फेंकते हो।
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धन्यवाद बन्धु
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