मैं बड़ा प्रयास कर रहा हूँ लेकिन जहाँ मैं हूँ वहाँ ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था दूर की कौड़ी है। अव्वल तो मेरे पास ही संसाधन कम हैं। मैं संसाधन जुटा लूँ और व्हाट्सएप्प वीडियो इत्यादि से काम चला लूँ तो अधिकाँश बच्चों के पास एंड्राइड फोन नहीं हैं। फोन है तो डेटा नहीं है बड़ी मुश्किल से तो 49 रूपये में 28 दिन की इनकमिंग कराई है वीडियो कैसे डाउनलोड करें और सबसे बड़ी बात जो छात्र क्लास में आंखों के सामने नहीं पढ़ते वह ऑनलाइन क्यों पढ़ें? मेरे पास 40 में 3 छात्र व्हाट्सएप्प चलाने वाले किसी कक्षा में थे उनको जोड़ा ग्रुप बनाया उनमें से 1 ग्रुप बनाने के बाद ग्रुप छोड़ गया। बचे 2 उनमें एक गेहूँ की कटाई में लगा है। एक का मोबाइल पिता जी के पास रहता है उनका कहना है मोबाइल बच्चे को बिगाड़ देता है।
सबसे बड़ी बात 14 मार्च 2020 के बाद आज 23 अप्रैल 2021 के मध्य केवल 10 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने ही विद्यालय में पलटकर देखा है वरना 90 % विद्यालय को भूल गए और उन 90 % को मैं। जो स्थिति है उसमें मुझे नहीं लगता कि अगले 2-3 सत्रों में भी विद्यालय सुचारू रूप से खुल पायेंगे। ऐसे में मुझे लगता है भविष्य में प्रौढ़ शिक्षा की बड़ी सम्भावनायें होंगी क्योंकि हमारी मजबूरी है कि पहले जीवन.बचायें या शिक्षा। तो सरकार से लेकर समाजशास्त्रियों तक सभी ने तय कर लिया है कि जीवन पहले बचना चाहिए। शिक्षा का क्या है जब निरक्षर थे तब भी तो राजकाज चलते थे। वैसे अभी ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने में ही समय लगेगा। यूँ भी डिग्री हासिल करने में गाँव शहरों को भी मात दे रहे हैं उच्च कक्षाओं के तमाम छात्र कॉलेज में नाम लिखाने के बाद देहरादून, हरियाणा, दिल्ली कमाने चले जाते हैं परीक्षा के समय प्रकट हो जाते हैं। पास भी होते हैं मुझे यही समझ नहीं आया कैसे? खैर आजकल सब यहीं हैं लेकिन कटाई जोर की चल रही है अभी इनसे तो बात करो मत। जब खाली होंगें तब अगर शादी ब्याह वाले दरवाजे से लौट गए तो बात करेंगे या फिर किसी फैक्ट्री में हाईस्कूल का सर्टिफिकेट माँग दिया तो या फिर लड़की घर से भाग गई तो उसकी जन्मतिथि के प्रमाणपत्र के लिए।
हमारी मजबूरी है कि पहले जीवन.बचायें या शिक्षा---बहुत गंभीर विषय है।
जवाब देंहटाएंजी श्रीमान जी, ब्लॉग पर आने के लिए व टिप्पणी के हार्दिक आभार|
हटाएंइस समय शिक्षा से जरूरी जीवन को बचाना और यह माहौल कब तक रहेगा कुछ पता नहीं..परिस्थितियाँ बेहद चिंताजनक है।
जवाब देंहटाएंसच कहा बहन|
हटाएंहार्दिक आभार बहन
जवाब देंहटाएंविचारोत्तेजक लेख ,सटीक दृश्य उकेरा है आपने लिखते समय की व्यथा में तंज भी उभर आया है और विवशता भी ।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
धन्यवाद, बहन। समझ में नहीं आ रहा क्या होना चाहिए इसलिए जो समझ में आया वह लिख दिया।
हटाएंसारगर्भित विषय पर आपका ये आलेख बहुत कुछ कह रहा ।जिसमे परेशानी के साथ साथ कटाक्ष भी है ।
जवाब देंहटाएंजिस परिस्थिति का अनुभव कर रहा हूँ वही बिना लागलपेट के लिख दिया धन्यवाद बहन|
हटाएं