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सोमवार, 7 अप्रैल 2025
विद्यालयों में लूट खसोट
आजकल विद्यालयों में प्रवेश शुरू हैं। तमाम ज्ञानी लोग अपना ज्ञान दे रहे स्कूल वाले किताबों कापियों और ड्रेस इत्यादि में लूट रहे हैं। कुछ लोग गरिया भी रहे हैं प्रबन्धकों को। मैं भी विद्यालय प्रबन्धक हूॅं और निजी तौर पर पिछले कई वर्षों से बहुत व्यथित भी। जिन बच्चों को मैंने किसी समय अपने विद्यालय में पढ़ाया, आज उनमें से बहुतों के बच्चे मेरे पास नहीं पढ़ते। चूंकि उनके माता-पिता निर्धन थे और स्कूल भी कम थे, आज स्कूलों की संख्या अधिक है उनकी जेब में पैसा है इसलिए उन्हें अब मेरा स्कूल अपने बच्चों के लिए निम्न श्रेणी का लगता है। जबकि मैं आज भी उनके लिए समर्पित भाव से काम करता हूॅं। मेरी प्राथमिक कक्षाओं का शुल्क 160 रुपए मासिक है और मजदूरों के बच्चों को दृष्टिगत रखते हुए है मेरे स्कूल में ड्रेस लागू नहीं है बच्चे पुरानी किताबें खरीद सकते हैं तीन वर्ष से मैंने कोर्स नहीं बदला है। मेरे पास वे बच्चे पढ़ने नहीं आते जिन्हें लूटा जा सके। मेरी 650 की छात्र संख्या 350 रह गयी है क्योंकि स्कूल वाहन सुविधा देकर लूटना नहीं चाहता। ये जो स्कूल लूट रहे हैं इसके लिए अभिभावक बड़ी मात्रा में दोषी है। अभिभावक जब तक अपने धन से स्कूलों को तौलेगा, स्कूल पलड़े पर बैठे रहेंगे। आप को बुरा लगे तो लगा करें। फेसबुकिये ज्ञानियों का ज्ञान बेमानी है।
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