मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

विषमबाहु त्रिभुज

विषमबाहु त्रिभुज:-विषमबाहु त्रिभुज एक ऐसा त्रिभुज जिसकी तीनों भुजाएं असमान लम्बाई की होती हैं। उदाहरण के लिए कोई त्रिभुज ABC इस प्रकार हो कि भुजा AB=16सेमी, भुजा BC=12 सेमी तथा भुजा AC=20 सेमी हो तो वह त्रिभुज विषमबाहु त्रिभुज कहा जायेगा।
प्रायः ऐसे त्रिभुज का क्षेत्रफल निकलना कठिन होता है।
मैंने इंटरनेट पर खोजने की कोशिश की तो मुझे हिंदी भाषा में इस विषय पर कुछ खास उपलब्ध नहीं हुआ तो हिंदी भाषियों के लिए यहाँ विषमबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल निकालने का तरीका प्रस्तुत है।
सूत्र इस प्रकार है:-
A=√s(s-a)(s-b)(s-c)
A=क्षेत्रफल
s=त्रिभुज का अर्ध-परिमाप
a b c क्रमशः त्रिभुज की भुजाये हैं।
उपरोक्त माप के त्रिभुज का क्षेत्रफल इस प्रकार निकालें।
s=(16+12+20)/2सेमी=24सेमी
A=√24(24-16)(24-12)(24-20)
या A=√24*8*12*4
या A=√24*12*8*4
या A=√24*4*12*8
या A=√96*96
या A=96 सेमी^2



मेरे एक पाठक ने मुझसे पूछा कि  सिद्ध करें कि विषमबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल को निकालने के लिए फार्मूला A=√s(s-a)(s-b)(s-c)   सत्य है|
तो अपनी लघु बुद्धि से सिद्ध करने का प्रयास कर रहा हूँ|
माना एक त्रिभुज ABC दिए गये चित्र के अनुसार है|
विषमबाहु त्रिभुज











   
अब (i) में BD का यह मान रखने पर 



शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

तितलियाँ


                                                                                  चित्र   ( tashu352.wordpress.com/2017/09) से साभार



चाचू तुम्हारे शहर की तितलियाँ शैतान हैं।
उन्हें रंग बिरंगी क्या कहूँ जो रंग की दुकान हैं।
फुले हुए मुखड़े तरोताजा गुलाबों की तरह,
खुशबू लुटा बेला सी ज्यों दिल से उड़े अरमान हैं।
वे चहकती फिर रहीं पर खोलकर हर डाल पर,
उड़ने लगीं अंजाम से बेखबर नादान हैं।
यूं तो आजादी के हैं हम भी बड़े पक्के मुरीद,
पर गुलामी ने किये हम पर बहुत अहसान हैं।
लैंप की लौ काँच के परदे में है पाती सुकून।
वक्त की लू-आंधियाँ इसके लिए हैवान हैं।

सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

उजाले ने कहा

सिर कलम कर दूँगा अँधेरे का,
जब कहो मैंने कहा।
नहीं ऐसा गजब करना जरा ठहरो,
उजाले ने कहा।
अँधेरा ही सहारा है कि हमको,
पूंछते हैं लोग।

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

बदल गया स्कूल

बाबा कबीर का एक दोहा याद आता है,
"गुरु कुम्हार घट शिष्य है गढ़ गढ़ काढ़इखोट।
अंतर हाथ सहार दइ बाहर दइ दइ चोट ।।"

वक्त बदल गया तो इस दोहे को छोड़िये जनाब और यह कुंडलिया पढ़िये।

"गुरु विक्रेता शिष्य है, क्रेता अति धनवान।
पैसा खींचत गुरु भला, भला न पकड़े कान।
भला न पकड़े कान, कभी अपने शिष्यों का।
देवे भले न ज्ञान, कभी अपने हिस्सों का।
विद्यालय को छोंड़ क्लास ट्यूशन की लेता।
है पैसे की होड़, ज्ञान  का गुरु विक्रेता।।"

शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

चाची जी से सीख लिया

जब वह घर आते हैं तो बच्चों के लिए जशन का माहौल होता है वजह ये कि वह आये हैं तो उनके खाने पीने खेलने आदि का कुछ सामान भी लाये होंगे।
पिछली बार जब वह घर आये थे बच्चों के लिए कपड़े और मिठाइयों के साथ ढेर सारे खिलौने भी लाये थे। आज भी उनके घर आने की खबर सुनकर बच्चे सुबह से ही उनके इंतजार में पलक पांवड़े बिछाए बैठे थे, जैसे ही टैक्सी दरवाजे पर रुकी बच्चों ने लपककर उनका सूटकेश अपने छोटे छोटे हाथों से संभाला और घसीट कर उसे ड्राइंग रूम तक ले गये लेकिन यह क्या सूटकेश में ताला लगा हुआ था। पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ। सब बच्चे धीरे धीरे वहाँ से खिसक लिए। किन्तु नन्हीं सी टीना ने पूंछ ही लिया चाचा जी सूटकेश में ताला डालना क्या नई नई चाची जी से सीख लिया।

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