महाभारतकाल
में उत्तर पांचाल की राजधानी रहे इस नगर के अवशेष बरेली-उत्तर प्रदेश के रामनगर
गाँव में प्राप्त हुए| समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशस्ति में वर्णित ‘अच्युत’ नाम के
राजा की मुद्राएँ यहाँ से प्राप्त हुई
हैं| यह आज भी जैनों का एक महत्वपूर्ण स्थल है, यहाँ के खण्डहरों से चक्की के पाट
के आकार का स्तूप मिला है| इसे ‘पिसनहारी का छत्र’ या ‘ढूह का स्तूप’ कहते हैं|
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