राजस्थान
स्थित इस किले का निर्माण ईसा की पांचवी शताब्दी में महाराज जयंत ने करवाया था|
बारहवीं शताब्दी में चौहान राजाओं ने इस दुर्ग पर कब्जा कर लिया| 1192 में
पृथ्वीराज चौहान के पुत्र ने यहाँ चौहान वंश की नींव डाली| तेरहवीं शताब्दी के अंत
में इस दुर्ग पर अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीरदेव को पराजित कर इस पर अधिकार कर लिया|
इस दुर्ग में प्रवेश हेतु चार दरवाजे हैं जिनमे से तीसरे व चौथे का निर्माण राजा
जयसिंह ने करवाया था|
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