शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

चुनाव चर्चा


उत्तर प्रदेश के सहित ५ राज्यों में विधानसभाओं के चुनावों कि अधिसूचना जारी की जा चुकी है नेता लोग जोड़ तोड़ में जुट गये हैं लिहाजा अब से दो ढाई महीने चुनाव की गहमागहमी रहेगी। नेता लोग वोटरों को लुभाने रिझाने और खरीदने में लग गये हैं ऐसे में जो मुझे सूझ पड़ा तो कुछ एक दोहे हाजिर हैं।
डेट इलेक्शन की हुई, जब से घोषित मित्र।
गाँव गली औ’ शहर के, बदले तब से चित्र॥१॥
कल तक थे उस ओर जो, आज इधर की ओर।
पाले बदले जा रहे,बदल रहे हैं छोर॥२॥
अपनी अपनी ताक में,हर नेता है व्यस्त।
पब्लिक तब भी त्रस्त थी, पब्लिक अब भी त्रस्त॥३॥
अपनी अपनी खूबियाँ,गिना रहे हैं लोग।
हर इक करना चाहता, विधायिका में योग॥४॥
नेता जी की खासियत, पब्लिक समझे खूब।
झूठ दगा मक्कारियाँ, हैं इनकी महबूब॥५॥
चोर लुटेरों के करों, पहुँच गया जन्तन्त्र।
जनता की लाचारियाँ, चबा रहा धनतन्त्र॥६॥
कौन चुने किसको यहाँ, ये चुनाव है खेल।
नेता ही बिकते नहीं, वोटर की भी सेल॥७॥
साड़ी-मोबाइल बँटे, बँटी पायलें पर्स।
दारू उतरी गले से, बदल गये निष्कर्ष॥८॥
लोकतन्त्र रस्साकशी, सँख्याबल की आस।
ऐ! वोटर घबरा नहीं, जिधर मिले चर घास॥९॥



गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

अन्ना हजारे


अन्ना जैसे देश में, सौ दो सौ हो जायें।
सत्य मानिये भ्रष्टजन देश छोडकर जायें॥१॥
बूढ़े की हुँकार पर, जागा सारा देश।
भ्रष्ट व्यवस्था से घृणा, जन जन में आवेश॥२॥
अन्ना गाँधी से अधिक, मेरे लिये महान।
गाँधी गैरों से लड़े, वह अपने इन्सान॥३॥
अन्ना तुम युग युग जियो, रहो हमेशा स्वस्थ।
मार्ग दिखाओ लोक को, कभी न करना प्रस्थ॥४॥
लोकपाल हित आपने, किया हठी सन्घर्ष।
भारत का कण कण हुआ,पूर्ण हर्ष उत्कर्ष॥५॥
जन की ताकत चीज क्या किया आपने सिद्ध।
घबराये काँपे बहुत, राजनीति के गिद्ध॥६॥
बूढ़ी हड्डी आपकी, युवकों सा उत्साह।
भूखे रहकर आपने, दी लड़ने की राह॥७॥
गाँधी के हथियार को दिया आपने मान।
जँग लग रही थी वहाँ, रखी आपने शान॥८॥
पुनः आपकी कृपा से , गाँधी के सिद्धान्त।
प्रासंगिक लगने लगे, अब तक जो थे शान्त॥९॥

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

पिहानी


प्राणों से प्यारी ये पिहानी की पवित्र भूमि,
जन्मभूमि श्याम रँग राँचे रसखान की।
कभी जो दमिश्के अवध नाम से विख्यात रही,
नहीं मोहताज है ये झूठे गुणगान की।
छाते मशहूर किसी काल में पिहानी के थे;
वीरों में प्रसिद्धि थी तेगों की शान की।
आजकल की दोषपूर्ण राजनीति से बची,
एक है पिहानी अभी हिन्दू मुसलमान की।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

अब गनीमत है


आज विज्ञापन में पढ़ा कि अब टी ई टी अभ्यर्थियों को किसी भी जिले से आवेदन करने की अनुमति है और उन्हें केवल एक जिले से बैंक ड्राफ़्ट लगाना होगा शेष जिलों के लिय़े उन्हें ड्राफ़्ट की फोटोकापी लगानी होगी यह अभ्यर्थियों के लिये बहुत बड़ी राहत है इस राहत के जिम्मेदारों को धन्यवाद। किन्तु अभी कसर है होना यह चाहिये था कि अभ्यर्थियों से आवेदन भी एक ही माँगा जाता प्रदेश स्तर पर और उन्हें डाक खर्च में भी राहत प्राप्त हो जाती। अगर ऐसा हो जाये तो सोने मेम सुहागा हो जायेगा।

रविवार, 18 दिसंबर 2011

विचार


विचार तो खालीपन में ही आता है। ये बात और है कि खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है।

किसी जमाने में भारत देश में एक बादशाह हुआ मुहम्मद तुगलक कहते हैं कि बड़ा ही सिरफिरा बादशाह था। वह इतिहास तो लिख लिया गया क्योंकि वह एक था आज का इतिहास कैसे लिखा जायेगा जिधर नजर दौड़ाइये तुगलक ही तुगलक  नजर आते हैं। किसी और क्षेत्र की बात हो तो बात हजम हो जाती है मगर जब बात शिक्षा के क्षेत्र की होती है तो बात हजम नहीं होती।
मैंने अपने लेख टी ई टी की नौटंकी शीर्षक की पोस्ट में लिखा था कि सरकार टी ई टी के अभ्यर्थियों को मूर्ख बना रही है जो प्रति अभ्यर्थी तीन जिलों से आवेदन भरवा रही है किन्तु मैं अब क्या लिखूं जब मैने जाना कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रति अभ्यर्थी पांच जिलों से आवेदन के लिये विज्ञापन निकाला है।
केवल इतना ही होता तो भी गनीमत थी अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे अर्जी लेकर कि उन्हें किसी भी जिले से मनमाफिक संख्या मे आवेदन करने दिये जायें मैं पूछना चाहता हूँ कि आखिर कितनी बेइज्जती करवाओगे कोर्ट से डिमाँड तो यह करनी चाहिये थी कि उन्हें आवेदन करने कि प्रक्रिया से ही छूट प्रदान की जाये और यदि आवेदन भरवाना आवश्यक ही हो तो प्रदेश लेवल पर फार्म भरवा कर कौंसिलिंग करानी चाहिये इससे अभ्यर्थियों क काफी समय, श्रम और पैसा बच जाता। अब इस तरह सरकार की आमदनी तो बढ़ जायेगी किन्तु अभ्यर्थियों पर बहुत अधिक बोझ बढ़ जायेगा। इतना ही निवास के संदर्भ में जो शपथ पत्र माँगे गये हैं वह भी अनुचित ही है ऐसे शपथ पत्र अथवा प्रमाण पत्र कौंसिलिंग के समय माँगे जाने चाहिये। फिर अभ्यर्थी जब नौकरी से पूर्व निवास प्रमाण पत्र बनवाकर जमा करेगा तब ऐसे शपथ पत्र का औचित्य समझ में नहीं आता। फिर यह शपथ पत्र तो लेखपाल और कानूनगो को देना चाहिये कि उन्होंने सही रिपोर्टें लगाईं हैं तथा तहसीलदार को देना चाहिये कि उन्होंने सही सर्टीफिकेट जारी किय़ा है।
वैसे भी हिन्दुस्तान में कोई भी सर्टिफिकेट फर्जी बनवाना हो सरकारी कुत्ते आसानी से बना देते हैं लेकिन अगर सही सर्टिफिकेट बनवाना हो तो नाकों चने चबाने पड़ते हैं। आखिर निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिये इतनी जटिल प्रक्रिया की क्या आवश्यक्ता है पहले निवास प्रमाण पत्र के लिये आवेदन के साथ शपथ पत्र लगाओ फिर दो गजेटेड अधिकारियों से प्रमाणित कराओ तब लेखपाल व कानूनगो को क्रमशः पूजो। और हफ्ते भर में हासिल करो प्रमाण पत्र। अब कोई मुझे बताये कि क्या शपथ पत्र झूठा नही दिया जा सकता, आखिर गजेटेड अधिकारी के पास कौन सा रिकार्ड होता है जिससे वह परिचय दे सकता है यदि परिचय देने का आधार व्यक्तिगत जान पहचान है कृपया कोई गजेटेड अधिकारी ही मुझे बता दे की वह अपनी नियुक्ति वाले क्षेत्र में कितने हजार लोगों को व्यक्तिगत रूप से जानता है। शायद कुछ सैकड़ा लोगों को भी नहीं जबकि हजारों की संख्या में लोग आय जाति निवास प्रमाण पत्र रोज बनवाते हैं तो ऐसे में उसके परिचयदान पर कितना भरोसा किया जा सकता है। मैने तो यहाँ तक भोगा है कि इस परिचयदान को पैसे देकर हासिल किया है।
वास्तव में निवास की तस्दीक कर सकता है स्थानीय निकाय जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका, क्षेत्र पंचायत, टाउन एरिया आदि। अथवा पोस्टमैन सबसे बेहतर है।
मेरा निवेदन है कि सम्बन्धित लोग मुझ अल्पज्ञ की बातों पर ज्यादा नहीं थोड़ा सा ही विचार करें कुछ अनुचित कह हो तो क्षमा करें।

हमारीवाणी

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