03/12/2017
मेरी यह पोस्ट बीजेपी के उन कर्मवीरों के लिए है जिन्होंने
बीजेपी के विकास के लिए रात-दिन इसलिए एक कर दिया कि जब सत्ता में आयेंगे तो उनकी
भी सत्ता में हिस्सेदारी होगी और इसलिए टिकट पाने की लाइन में लगे किन्तु टिकट हाथ
से फिसल गया| टिकट वे ले गये जो जुम्मा जुम्मा चार दिन भी बीजेपी में नहीं रहे न
उसके लिए कुछ काम किया|
तुम तो
अपने घर के हो।
सिर्फ करने
भर के हो।।
व्यंजनों
को मत चखो,
सर्व करने
भर के हो।।
हम अतिथि
को पूजते,
जैसे प्यारे
भाजपा।
भाजपा के
हो तो फिर,
गर्व करने
भर के हो।।
क्रीम बाँटी
जायगी,
पर नहीं
तुमको अरे!
तुम तो
इस बारात में,
नृत्य करने
भर के हो।।
दीप के
नीचे खड़े,
तो अँधेरा
गाँठ लो।।
आग के घर
में खड़े,
तब तो जलने
भर के हो।।
तुम अगर
होते कहीं,
प्राप्त
होता कुछ न कुछ।
भाजपा में
तो टिकट की,
चाह करने
भर के हो|
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