बिन मात्रा के अजगर, अदरक, कटहल, शलजम, कलम।
हलचल, बरतन, खटपट, सरपट, टमटम, कलकल, जलम।।1।।
आ से आम, आग में भूना, खट्टा मीठा स्वाद।
खाना-दाना पेड़ दे रहा, खुद खाता है खाद।।2।।
किरन किशन से झगड़ा करती, बिना बात की बात।
इमली तो इठलाती फिरती, इतराती इफरात।।3।।
ईश्वर का ईनाम सभी कुछ, मीठा, तीखा, फीक।
खीर, खरी, खीरा, ककड़ी की, बात बड़ी बारीक।।4।।
उड़द, उड़ीसा, उबटन, उपला, उधम अउर उत्पात।
सुघड़, माधुरी, सुन्दर, युवती, फुलवारी, पुलकात।।5।।
सूटर पहने फुल्लू फूले, ऊटपटाँगा ऊन।
ऊँट पूँछ कूबड़ को भूला, धाँसू देहरादून।।6।।
ऋषि के गृह मृग-मृगी टहलते, मृगतृष्णा से दूर।
कृषक, कृष्ण, कृषि, कृपा, गृहस्थी, घृत अमृत भरपूर।।7।।
एक अनेक नेक क्यों चरचे, बाँचे लेख अनन्त।
साँचे राँचे प्रेम नेम में, राधे रटते संत।।8।।
ऐरावत ने ऐनक पहनी, भैया है हैरान।
गैया-भैंस न शैय्या छोड़े, हो गये हैं शैतान।।9।।
ओंकार को रोज भजो जो, बोलो हरिहरिओम।
रोग, शोक, मद, मोह, छोड़कर, घूमो धरती-व्योम।।10।।
औरत, औषधि, मौसी, भौजी, लौकी, नौका, चौक।
गौरव, रौनक, रौशन, यौवन, दौलत, लौटा, शौक।।11।।
नग को नंग बना देती है, जग में करती जंग।
अं की बिन्दी का कमाल है, रग में भरती रंग।।12।।
अः की बात निराली कितनी, मजेदार निशि-अहः।
छः दिन कर्म रविः विश्रामः, सुखपूर्णः मम मनः।।13।।