घृणा को नैन में भरकर न छवि का ध्यान भी करना।
अगर है प्रेम किंचित भी तो उनका मान भी करना।
कपोलों पर भले पिटने की मेरे नीलिमा होगी,
अनुज! भौजाइयों से डर न तुमको ज्ञान भी रखना।।1।।
चढ़ा सावन सजन परदेश झूला कौन डालेगा?
बसन्ती पवन फागुन बिन देवर के मौन सालेगा।
दिवाली में बड़े भैया अगर घर देर से पहुँचे,
तो ड्योढ़ी पर दिवाली के दियों को कौन बालेगा??2??
हमारे देश में वर से अधिक देवर पियारा है।
निजी घर हो कि हो ससुराल वो सबका दुलारा है।
जहाँ देवर बना है पुत्र भाभी बन गयी है माँ,
कुटी का भार प्रभु ने लखन के कंधों उतारा है।।3।।
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