कुत्ते सभी स्वर्ग जायेंगे तो पत्तल चाटेगा कौन?
यही प्रश्न कुत्तों से कर दो या लड़ते या रहते मौन।
पत्तलें भी जायेंगी स्वर्ग।
बिल्ली घंटी लेकर टहले चूहे सुनकर रहते मस्त।
चट कर जाती एक-एक को अपनी अपनी में सब व्यस्त।
जगत यह षड्यंत्रों का मर्ग।
ठेका लेकर बैल चल दिये खींचेंगे शेरों की खाल।
पढ़े लिखे बैलों की आदत छील रहे मृतकों के बाल।
तथ्य बिन हैं सर्गों पर सर्ग।
मैं तो समता की धरती पर दिखलाने को उत्सुक नृत्य।
किन्तु हृदय फटने लगता है देख देखकर जन के कृत्य।
घुस पड़े हैं वर्गों में वर्ग।
मर्ग-चरागाह/घास का मैदान
सर्ग-अध्याय
वर्ग-समूह, जाति,
ब्लॉग पर आने के लिए सादर धन्यवाद बन्धु
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