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कुण्डल कानों पर छजे, छजे नाक नकबिन्दु। बिंदिया मस्तक-मध्य में, रचे इन्दु पर इन्दु।/ मोहक शैली में रची गई अति सुन्दर शृंगार रचना आदरनीय भाई विमल जी। 'रचे इन्दु पर इन्दु ' तो कमाल है 👌👌👌👌🙏
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 13 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार बहन
हटाएंकमाल का बिंब... एल ई डी चंचल।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरेय।
हटाएंकुण्डल कानों पर छजे, छजे नाक नकबिन्दु।
जवाब देंहटाएंबिंदिया मस्तक-मध्य में, रचे इन्दु पर इन्दु।/
मोहक शैली में रची गई अति सुन्दर शृंगार रचना आदरनीय भाई विमल जी।
'रचे इन्दु पर इन्दु ' तो कमाल है 👌👌👌👌🙏
हार्दिक आभार आदरणीया बहन।
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