यह
स्थान महाराष्ट्र के पुणे जनपद में है| यहाँ स्थित एक गुफा में सातवाहन नरेश
शातकर्णी की नागानिका का एक अभिलेख है| जिससे ज्ञात होता है कि शातकर्णी ने अनेक
अश्वमेध व राजसूय यज्ञ किये थे| उसने ब्राह्मणों को विभिन्न प्रकार के दान भी दिए
थे| इस अभिलेख द्वितीय शताब्दी में बौद्धधर्म के उत्कर्ष के पश्चात हिन्दू धर्म के
फिर से विकास का ब्यौरा भी प्राप्त होता है| इस अभिलेख में शातकर्णी को ‘सिमुक वंश
का धन’ कहा गया है| शातकर्णी की मृत्यु के पश्चात नागनिका ने राजकार्य भी संभाला|
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