यह
स्थान आंध्रप्रदेश के हैदराबाद से 7 मील पश्चिम में है, यहाँ देवगिरि के यादवों व
वारंगल के काकतीयों का अधिकार रहा| 1310 में यह खिलजी सल्तनत का हिस्सा बना उसके
बाद यह मुक्त हो गया| 1425 में यह बहमनी सल्तनत का हिस्सा बना| मुगलकाल में
औरंगजेब ने गोलकुंडा का कुतुबशाही वंश का अंत कर दिया और उसे अपने साम्राज्य में
मिला लिया| गोलकुंडा अपनी हीरों की खानों के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है| यहाँ 400
फीट ऊंची ग्रेनाईट की पहाड़ी पर बना हुआ एक किला है| इस किले में कुतुबशाही बेगमों
के भवन उल्लेखनीय हैं| किले के अंदर हैदराबाद के निजामों का बनवाया नौमोहल्ला नामक
भवन भी है| किले के अंदर इब्राहीम बाग है जिसमें कुतुबशाही सुल्तानों के मकबरे हैं
जिन मकबरों पर हिन्दू वास्तुकला के विशिष्ट चिन्ह कमल पुष्प, पत्र तथा कलियाँ हैं
तथा प्रक्षिप्त छज्जे, स्वास्तिक, स्तम्भ-शीर्ष आदि बने हुए हैं|
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