मंगलवार, 30 जनवरी 2018

बारात

जब कभी भी इस तरफ बारात आती है,
तब नजर के सामने इक रात आती है,
बस जरा से फासले पर कैद बाहों में,
धड़कनों पर धड़कनों की याद आती है|





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