अर्जुन
होना जीवन रण में नहीं बहुत आसान|
कृष्ण
सारथी होंगे जिसके जिये वही मैदान|
जीवन के
हर चक्रव्यूह का मैं ही द्रोणाचार्य|
निज वध
को अभिमन्यु बनूं मैं इतना भी अनिवार्य|
उर में
बचकानापन हावी बुद्धि अधूरा ज्ञान|
उतर
पड़ा हूँ महासमर में क्या राखे भगवान?
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