आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा से जो जाना जाए,
वही सत्य होता नहीं मित्र जान लीजिये।
अंतर में ईश के प्रकाश प्रेरणा से मित्र,
कभी कभी खिले ये प्रसून मान लीजिये।
गूलर का फूल तो दिखाई नहीं देता किन्तु,
बीज से ही वृक्ष होने का प्रमाण लीजिये।
संतों की वाणी में विवाद ढूंढ़ने से पूर्व,
झाँक मित्र कभी निज गिरेबान लीजिये।।
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