पूर्व मध्यकाल
में चोल साम्राज्य की राजधानी के रूप में विख्यात रहा यह स्थल कावेरी नदी के तट पर
‘मन्दिरों के शहर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है| यहाँ चोल शासक राजराज द्वारा बनवाया
गया 14 मंजिला व 190 फिट ऊंचा वृहदेश्वर शिवमन्दिर भी है| मन्दिर में विशाल तोरण व
मण्डप भी है| आधार से शिखर तक नक्कासी व अलंकृत ढांचों से सुसज्जित है| यह अन्य
सहायक मन्दिरों के साथ प्रांगण में स्थित है| इसे राजराजेश्वर मन्दिर के नाम से भी
जाना जाता है| अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर ने इस पर आक्रमण करके इसे जी भर कर
लूटा| यह विजयनगर साम्राज्य का भी अंग रहा| 1674 में इसे मराठों ने अपने अधिकार
में ले लिया|
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