यह
स्थान उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में है| यहाँ के किले को चन्द्रवर्मन चन्देल ने
बनवाया था| महमूद गजनवी ने 1022 में बुन्देलखण्ड के गणशासक से इसे लेने का प्रयास
किया किन्तु अंततः उसे संधि करनी पड़ी| 1202- 1203 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने चन्देल
राजा परमार्दिदेव को पराजित करके इसे अपने अधिकार में कर लिया| किन्तु राजपूतों ने
पुनः इस पर अधिकार कर लिया| 1545 में शेरशाह सूरी ने इसे बुंदेलों से जीता, किन्तु
बारूद के ढेर में आग लग जाने से सूरी की मृत्यु हो गयी| 1569 में अकबर के सेनापति
मजनूं खां ने यह किला रामचन्द्र से बिना किसी युद्ध के ही हस्तगत कर लिया|
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