यह
स्थल मध्यकाल में बंगाल की राजधानी रहा है| 1204-05 में मुहम्मद गोरी के सिपहसालार
इख्तियारुद्दीन-बिन-बख्तियार खिलजी ने जब बंगाल की राजधानी नदिया में प्रवेश किया तो
यहाँ का शासक लक्ष्मणसेन भाग खड़ा हुआ| 1485 में यहीं चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ
था, जो कि प्रसिद्ध कृष्णभक्त थे| यह स्थान न्यायशास्त्र के अध्ययन का प्रमुख
केंद्र था|
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