शनिवार, 11 मई 2013

बड़े बे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

ससुरे पहले इस्तीफा दे देते तो कुछ सम्मान तो बचा रहता लेकिन क्या करें ये भी बेहयाई घुट्टी में पी रखी है जी हाँ मैं अपने कानून मंत्री और रेल मंत्री की ही बात कर रहा हूँ। ये खुले आम दोषी सिद्ध हो जाने पर भी आखिरी क्षण तक कुर्सी से चिपके रहे। लगता नहीं ये वही कांग्रेस पार्टी है जो देश की आजादी के लिए लड़ी। आज अपने नेताओं के भ्रष्टा चार के बोझ तले दबी जा रही है।

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