यह
स्थल महाराष्ट्र राज्य के पुणे से ४० मील उत्तर में है| यहा 150 शैल गुहायें
जिनमें से 10 चैत्य तथा शेष बौद्ध विहार हैं| इन गुहाओं का समय पहली से दूसरी
शताब्दी का है| इन गुहाओं में गणेश लेख व तनुजा लेख महत्त्वपूर्ण हैं, यहाँ मूर्तियाँ नहीं है किन्तु कुछ गुहाओं की दीवार पर
लक्ष्मी, कमल, गरुण व सर्प आदि के चित्र उत्कीर्ण हैं जो बौद्धधर्म के हीनयान
सम्प्रदाय से सम्बन्धित है| यहाँ के चैत्य गृह आयताकार हैं जिनकी छतें सपाट और मण्डप स्तम्भ रहित हैं| एक चैत्य गोलाकार भी है| इस आकृति का चैत्य पश्चिम भारत में नहीं मिलता| यहाँ की एक गुफा से 124 ईस्वी का शक नरेश नहपान के मन्त्री अयम का एक अभिलेख मिला है जिसमें नहपान को महाक्षत्रप कहा गया है|
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