शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

कोरोना की वापसी का कारण

परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा, "महामुने! एक बात समझ में नहीं आयी? वैक्सीन आ रही थी कोरोना जा रहा था। लोग धीरे धीरे मौज मस्ती की तरफ जा रहे थे फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वैक्सीन के आते ही कोरोना भी अपने तेवर दिखाने लगा।"
शुकदेव जी ने एक रहस्यमयी मुस्कान परीक्षित की ओर फेंकते हुआ कहा, "राजन! आपने आम जनता की जानकारी वर्धनाय बड़ा अच्छा व रूचिकर प्रश्न पूछा है हृदय गदगद हो गया। यही गोपनीय प्रश्न कलयुग में ऊधव ने विमल कुमार शुक्ल नाम के एक नामालूम से प्राणी से पूछा था तो उसने जो बताया था उसे आप भी सुनो।
विमल कुमार शुक्ल ने ऊधव जी को बताया था, "सरकार को जब पता नहीं था कि कोरोना क्या बला है? तो मीडिया को अपनी ओर करके बड़ी भयंकर खबरें दिखाकर इतना डराया और इतने अधिक प्रतिबंध लगाए कि लगा तृतीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। प्रवासियों की इतनी भीड़ सड़कों पर दिखी जितनी भारत पाकिस्तान विभाजन के समय भी न दिखी थी। मृत्यु की बात करें जितनी मौतें कोरोना से न हुईं उससे कहीं अधिक इसलिए मर गए कि यात्रा अवरोधों की वजह से डॉक्टरों तक नहीं पहुँचे, पहुँचे तो डॉक्टरों ने इलाज नहीं किया। भूख और अवसाद से मरने वालों को जोड़ दें तो यह ग्राफ और ऊपर चला जाएगा।
सरकार को अपनी भूल पता चली और उसने धीरे धीरे प्रतिबन्धों को हटाना शुरू किया साथ ही घटना शुरू हुआ कोरोना का। वैक्सीन कब आयेगी पता नहीं था इसलिए जिंदगी पटरी पर आ रही थी। जब न्यूनतम केस थे तभी वैक्सीन आ गई। अब नई समस्या यह थी कि कोरोना खत्म हो गया तो वैक्सीन का क्या होगा? जिन कम्पनियों ने वैक्सीन बनाने में भारीभरकम खर्चा किया आखिर उसकी भरपाई कैसे हो। इसलिए कोरोना को सरकार से सहानुभूति दिखाते हुए उसे वापस आना पड़ा। ऊधव जी यही असली कारण है कोरोना की वापसी का।
फिर विमल जी ने ऊधव के कान में मुँह सटाकर जो मंत्र जपा वह यह है। पहले चक्र में रजिस्ट्रेशन कराये सिर्फ 30% लोगों ने ही टीका लगवाया तो जिम्मेदारों के कान खड़े हो गए। तो एक रजिस्टर्ड से जिम्मेदार ने पूछा क्यों रे वैक्सीन क्यों नहीं लगवाया। रजिस्टर्ड बोला कि जब कोरोना जा रहा है तो वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा। बात ऊपर पहुँची ऊपरवाला बोला अच्छा....। बस अगले दिन से कोरोना को दौड़ने के आदेश जारी हो गए। " 
शुकदेव जी अपनी बात समाप्त करें इससे पहले ही परीक्षित बोल पड़ा, "महामुने! विमल कुमार शुक्ल ने आखिर यह निष्कर्ष कैसे निकाला।"
"परीक्षित! तुम अभी भी कलियुग के प्रभाव में हो। इतनी तमीज तो रखो कि बात पूरी हो जाए। अब और जो ज्ञान की बात उसने मुझे बताई वह तुम्हारी जल्दबाजी की वजह से विस्मृत हो गई। खैर निष्कर्ष का आधार सुनो।
परीक्षित! कोरोना सरकार द्वारा आयोजित भीड़ों से दूर था। बाजारों, बसों, ट्रेनों और सरकार के लाभ वाली हर जगह से दूर था। वह वहींं अटैक कर रहा था जहाँ कोरोना गाइडलाइन का पालन अब भी जारी था। वह उन प्रदेशों में शान्त था जहाँ चुनाव थे। स्कूलों में तो गजब का परफॉर्मेंस था कोरोना का। सरकार की पूरी कोशिश थी प्राइवेट टीचरों का कुनबा भूख से मरे तो ठीक पर कोरोना से नहीं। सरकार की सख्ती भी गुलगुलों की मार वाली थी। सबसे बड़ी बात लोग कोरोना की सही जानकारी के लिए अपुष्ट स्रोतों पर कलयुग में भी आश्रित थे और द्वापर में भी हैं।"
परीक्षित को समझ में तो कुछ नहीं आया लेकिन उसने कोई प्रश्न नहीं किया क्योंकि प्रथम तो मोदी के मन की बात टीवी पर आ रही थी दूसरे मोबाइल का नेटवर्क ऑनलाइन कथा संचालन में बाधक बन गया था।

14 टिप्‍पणियां:

  1. ह😃😃हे भगवान! कोरोना ने क्या क्या ना लिखवाया 😃😃😃😃रोचक लेख विमल भाई।हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏।

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  2. कभी चर्चा मंच पर तो झाँकने भी नहीं आते, कमेंट करना तो दूर की बात है।
    हम पागल हैं क्या जो आपकी पोस्ट चर्चा में ले लेते हैंॆ।

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    1. अरे बाप रे बाप इतनी बड़ी फटकार। कान पकड़ता हूँ। क्षमा बड़े भाई।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-04-2021) को   "आदमी के डसे का नही मन्त्र है"  (चर्चा अंक-4033)    पर भी होगी। 
    -- 
    सत्य कहूँ तो हम चर्चाकार भी बहुत उदार होते हैं। उनकी पोस्ट का लिंक भी चर्चा में ले लेते हैं, जो कभी चर्चामंच पर झाँकने भी नहीं आते हैं। कमेंट करना तो बहुत दूर की बात है उनके लिए। लेकिन फिर भी उनके लिए तो धन्यवाद बनता ही है निस्वार्थभाव से चर्चा मंच पर टिप्पी करते हैं।
    --  
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।    
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  4. अगले पाँच-सात साल तक यह कोरोना का झुनझुना अचूक वाण की तरह कारगर रहेगा

    सामयिक सार्थक और रोचक लेखन

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    1. सच कहा बहन पहले वैक्सीन का व्यापार फिर कोरोना ठीक नहीं हुआ है इसलिए दवा की खोज और उसका व्यापार

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  5. वाह! बहुत ही मजेदार ।

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  6. बहुत खूब!! रोचक लेख।

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