इस ब्लॉग को मैने अपने निजी विचारों को प्रस्तुत करने के लिये शुरू किया है। बहुत सम्भव है कि मेरे विचार किसी अन्य से मेल खाते हों और यह लगता हो कि वे किसी के कॉपीराइट का उल्लंघन करते हों तो कृपया मुझे अवश्य अवगत करायें। विशेष कृपा होगी।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ" (चर्चा अंक 4015) पर भी होगी। -- मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
किस भावना से लिखी है ये कुंडली ? मन की भड़ास है क्या ? या स्त्रियों के लिए आप कुछ भी लिख दें तो वो हास्य हो जायेगा ? क्षमा चाहूंगी ... पसंद नहीं कर सकती ...
बहन पसंद नापसंद निजी है, आपका धन्यवाद। हास्य मैं लिखता नहीं। जो देखा सो लिखा भड़ास का प्रश्न नहीं। कुंडली में सिर्फ स्त्री नहीं पुरूष भी है जो शायद अधिक निन्दित है जो किराए का मकान लेकर रह रहा है और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी से हटा हुआ है। आपको पसंद नहीं इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ किसी को कष्ट देना मेरा ध्येय नहीं।
कुछ विशिष्ट नहीं जो देखा सो लिख दिया। एक घटना सम्पूर्ण समाज पर लागू हो यह आवश्यक नहीं। ब्लॉग पर आकर टिप्पणी के लिए धन्यवाद। ब्लॉग पर बहुत कुछ उपयोगी भी होगा।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ" (चर्चा अंक 4015) पर भी होगी।
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मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार बड़े भाई,
हटाएंकिस भावना से लिखी है ये कुंडली ? मन की भड़ास है क्या ? या स्त्रियों के लिए आप कुछ भी लिख दें तो वो हास्य हो जायेगा ?
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहूंगी ... पसंद नहीं कर सकती ...
बहन पसंद नापसंद निजी है, आपका धन्यवाद। हास्य मैं लिखता नहीं। जो देखा सो लिखा भड़ास का प्रश्न नहीं। कुंडली में सिर्फ स्त्री नहीं पुरूष भी है जो शायद अधिक निन्दित है जो किराए का मकान लेकर रह रहा है और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी से हटा हुआ है। आपको पसंद नहीं इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ किसी को कष्ट देना मेरा ध्येय नहीं।
हटाएंये कविता किसे इंगित कर किन भावों से लिखी गयी हैं? --ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंकुछ विशिष्ट नहीं जो देखा सो लिख दिया। एक घटना सम्पूर्ण समाज पर लागू हो यह आवश्यक नहीं। ब्लॉग पर आकर टिप्पणी के लिए धन्यवाद। ब्लॉग पर बहुत कुछ उपयोगी भी होगा।
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बन्धु, होलिकोत्सव की शुभकामनाएं।
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