लगी है हाट जब सुन्दर तो कुछ तो क्रीत हो जाये।
उठो दौड़ो करो जल्दी न इच्छा शीत हो जाये।।
जहॉं निर्मल हृदय होगा अहम् से दूरियॉं होंगी।
सुकोमल मन मिले कोई न चाहे प्रीत हो जाये।।
हृदय का मूल्य वे देंगे स्वयं समृद्ध जो उर से,
सॅंभल कर कीजिये सौदा नहीं अनरीत हो जाये।।
न समझूॅं स्वर न जानूॅं लय विकल मैं रागिनी खोजूॅं।
अगर तुम पास आ जाओ तो फिर से गीत हो जाये।।
करूॅं साधन कहाॅं कितना यही आकर बता जाओ।
कठिन हो कर्म कितना भी सरलतम जीत हो जाये।।
एक प्रेमिल रचना जिसमें प्रेम की गहन अभिव्यक्ति है।, हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ विमल भाई 🙏
जवाब देंहटाएंसादर आभार बहन 🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
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