कदरदान तो आयेंगे ही बाकी को फुर्सत न मिलेगी।
जहॉं जमेंगे पीने वाले साकी को फुर्सत न मिलेगी।।
तेरे हित में ये अच्छा है मन की कर ले इस महफिल में,
ओ रक्कासा! यहॉं से जाकर अन्य कहीं इज्जत न मिलेगी।।
नीचे गिरना जल छोंड़े तो प्यासे सब मर जायेंगे,
आग अगर नीचे गिर जाये धरती पर जन्नत न मिलेगी।
मेरी पुस्तक के ग्राहक हैं चूहे, दीमक, चूरन वाले,
मुझे पता है छपवा भी दूॅं कविता की कीमत न मिलेगी।
जिससे जो भी मिली नसीहत सबकी सब मेमोरी में,
जो भी चाहे सब ले जाये बार बार मोहलत न मिलेगी।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 03 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया
हटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बहन
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बन्धु
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय
हटाएंवाह! बहुत सुंदर कहा 👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया बहन
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया बहन
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