बार बार लोग लोग लिख रहे हैं, कि कोरोना से कोई भगवान, गॉड या अल्लाह बचा नहीं पा रहा है। इस देश को मन्दिर और मस्जिद की नहीं स्कूलों और अस्पतालों की जरूरत है। आखिर कहना क्या चाहते हैं? क्या ईश्वर ने आपको दृष्टि और समझ नहीं दी या फिर विलुप्त हो गयी है?
वह मन्दिर और मस्जिद ही हैं जहाँ हर ओर से हारने के बाद व्यक्ति शरण लेने जाता है। तुम ही अपने कर्तव्य पालन से विमुख होकर हर कृत्य-कुकृत्य किये जा रहे हो, भक्ष्य-अभक्ष्य खाये जा रहे हो, बहू-बेटियों का नंगा नाच देख रहे हो, समस्त पृथ्वी पर अपना आधिपत्य जमाकर तमाम जीव जन्तुओं को नष्ट किये दे रहे हो, अपने लालच में जल, जंगल, जमीन सभी कुछ तो नष्ट किये दे रहे हो। फिर कहते हो कोरोना से भगवान नहीं बचा रहा। अरे भाई ये तो ट्रेलर है अगर नहीं सुधरे तो पिक्चर अभी बाकी है। कोरोना के अगली पीढ़ी के वायरस और बैक्टिरिया आयेंगे और अपना तांडव मचाएंगे। आपके स्कूल और अस्पताल धरे रह जाएंगे। जब तक आप टीके या दवा का आविष्कार करेंगे तब तक नई फ़ौज आएगी तबाही मचाने। अरे मूर्खों वह मन्दिर व अन्य धार्मिक स्थल ही हैं जो जीने की राह दिखाते हैं। तुम सीखो तब तो।
सलीके से जीना तुम्हारी आदत रही नहीं, साफ़ सफाई की आदत तुम्हें छुआछूत लगती है, दूसरों के अधिकार समझना तुम्हें अपनी हेठी लगती है, देवस्थल पर सिर झुकाना पिछड़ापन लगता है, जन भावनाओं को आहत करना तुम्हें आनन्ददायक है, कर्तव्य तुम्हें स्मरण करते लज्जा आती है। बात करते हो भगवान कुछ करता नहीं।
जब जब होइ धरम की हानी।
बाढहिं अधम असुर अभिमानी।
तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा।
हरहिं सृष्टि की सहजहिं पीरा।
यह कोरोना भी प्रभु का अवतार है, तुम जैसे रावणों को हनुमान की तरह चेतावनी देने आया है, आगे जब स्वयं भगवान आयेंगे तो रावणों तुम्हारा क्या होगा? सोंचो।
देश को स्कूल अस्पताल भी चाहिए और देवस्थल भी। अन्यथा चले जाओगे वहीं जहाँ से आये हो। यह पोस्ट किसी धर्म विशेष के लिए नहीं अपितु प्रकारांतर से राजनीति करने वालों के लिए है।
पैनी नजर ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बन्धु, ब्लॉग पर आने हेतु धन्यवाद।
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