हम राजा हैं,
जिसमें एक व्यथा भी है।
जो दिखता है,
उसके पीछे एक कथा भी है।
हलवा राजा की हलक में,
काट रहा है।
पूरा देश,
राजा की खोपड़ी चाट रहा है।
भगत सिंह फॉंसी पर,
गॉंधी नोटों पर चढ़े।
वर्तमान के स्तम्भ,
इतिहास पर खड़े।
राजा का छप्पन है,
गॉंधी का छत्तीस रहा होगा।
गॉंधी की क्या लाचारी होगी,
हृदय में कितना खून बहा होगा।
राजा,
इसे सीजफायर के निर्णय के आलोक में देख रहा है।
जन,
इसे सिन्दूर की लाली के शोक में देख रहा है।
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