तुम हमें धकेल लो,
हम तुम्हें धकेल लेते हैं।
तनाव अच्छी चीज है,
तनाव का व्यापार करें।
तुम हमसे गुड़ ले लो,
हम तेल लेने पर विचार करें।
घावों का होना फायदेमन्द है,
अपने अपने कुरेद लेते हैं।
जो दिमाग एकजुट हो रहे हों,
उन्हें हम भेद लेते हैं।
बड़े मियाँ तो बड़े भले,
छोटे मियाँ पीछे चले।
ककड़ी तो कटी नहीं,
तलवार से मिले गले।
भाई से खटर पटर जन्मजात,
जब चाहें उखाड़ दें तम्बू कनात।
पर विदेशी उल्लुओं का क्या करें,
घूँसा जड़ें मुँह पे या घींच पर धरें लात।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२० -०६-२०२०) को 'ख्वाहिशो को रास्ता दूँ' (चर्चा अंक-३७३८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
बहुत बहुत धन्यवाद बहन।
हटाएंवर्तमान परिदृश्य पर सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बड़े भाई।
हटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बड़े भाई
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बन्धु
हटाएंबहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद बहन
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