बुधवार, 26 अगस्त 2020

है तो नहीं

प्यार अंधा है मगर मैं तो नहीं।
प्यार मुझको भी कहीं है तो नहीं।
गुलगुले किसको नहीं भाते बता,
गुलगुलों की मार का भय तो नहीं।
पोतकर चेहरा हसीं दिखना सरल,
किन्तु आँखों में चमक है तो नहीं।
मैं भी दुबला हूँ किसी की याद मे,
वैद्य जी देखो कहीं क्षय तो नही।
द्वार पर जिसके खड़ा वह घर नहीं,
गैर के पहलू में वो शय तो नहीं।
पास है मन्जिल बहुत माना 'विमल'
पर तुझे मन्जिल मिले तय तो नहीं।


2 टिप्‍पणियां:

  1. द्वार पर जिसके खड़ा वह घर नहीं,
    गैर के पहलू में वो शय तो नहीं।
    पास है मन्जिल बहुत माना 'विमल'
    पर तुझे मन्जिल मिले तय तो नहीं। बहुत सुंदर विमल जी ! अच्छा लिखा है आपने | सादर

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