सोमवार, 1 जून 2020

मील के पत्थर


१५/१२/१९९७
! मील के पत्थर तुम्हें मेरा नमन।
पत्थर नहीं तुम हो गतागत ज्ञान दाता।
है प्रीत जिसको लक्ष्य से वह जान पाता।
किस दिशा में और कितना है गमन।
! मील के पत्थर तुम्हें मेरा नमन।
पथ की महत्ता मूक होकर भी बताते।
भटके हुओं को मार्ग पर भी तुम लगाते।
और करवाते वियुक्तों का मिलन।
! मील के पत्थर तुम्हें मेरा नमन।
पथ पर चला जो करके अनदेखी तुम्हारी।
उसने कदाचित ही स्वयँ की गति संवारी।
प्राप्त कर पाया सफलता की शरण।
! मील के पत्थर तुम्हें मेरा नमन।
 




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4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को   "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया"  (चर्चा अंक-3721)    पर भी होगी। 
    --
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आने के लिए व मूल्यवान टिप्पणी के लिए धन्यवाद बहन|

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