न्यूटन के गति सम्बन्धी तीन नियम
दोहों में
चलता पिण्ड न रूक सके, रुका न पाए चाल|
बिना वाह्य बल के सतत, जड़ता की पड़ताल||1||
परिवर्तित संवेग दर, बल के सम-अनुपात|
जिधर दिशा संवेग की, वही दिशा बल ख्यात||2||
क्रिया-प्रतिक्रिया साथ हो, रहे दिशा विपरीत|
बल की मात्रा सम रहे, न्यूटन कहता मीत||3||
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-05-2020) को "कोरोना तो सिर्फ एक झाँकी है" (चर्चा अंक-3714) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार बड़े भाई कृतार्थ हुआ|
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