यह स्थल तमिलनाडु राज्य में कृष्णा नदी के मुहाने पर स्थित बन्दरगाह था| यह 17 वीं सदी में अपने उत्कर्ष पर था| 1611 में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने यहाँ अपनी फैक्ट्री लगाई थी| 1632 में गोलकुंडा के शासक ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को व्यापार करने के लिए ‘सुनहला फरमान’ जारी गया| 1686 में डच, 1690 में अंग्रेज, 1750 में फ़्रांस 1750 में ही पुनः अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया| इस बन्दरगाह से सूती वस्त्र, गलीचे एवं धागे का निर्यात किया जाता था|
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