बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

सुनामी

कली यदि देखकर भँवरे को मुस्काई नहीं होती|
समन्दर में सुनामी की लहर आई नहीं होती||
मुझे क्या गर्ज थी बाँहों में उसको भर लिया मैंने,
अगर द्वारे की साँकल उसने खटकाई नहीं होती||



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1 टिप्पणी:

  1. बेनामी7/2/18 8:56 pm

    super


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