फेसबुक पर एक बन्धु सुझाव दे रहे थे कि जाड़ा बहुत है जल बचाइए और संडे के संडे नहाइये तो मेरे मन में कुछ भाव उठे और फटाफट व्यक्त हो गये। आनंद लें।
संडे को नहाया तो भी खर्च होगा ज्यादा जल,
हो सके तो एक बार माह में नहाइये।
बोतल में पानी भर रख लो कबर्ड में,
हन्नू हन्नू कह कर शीष पे घुमाइये।
दिख जाये कोई अन्य भी जो नहाता हुआ,
खुद ही नहा लिये हैं मन में मनाइये।
जन्म जब हुआ था तो नहला दिया था नर्स ने,
एक इसी स्मृति से काम को चलाइये।
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