कश्मीर शासक मिहिरकुल ने सिंहल देश पर इसलिए आक्रमण कर दिया क्योंकि उसकी पत्नी ने जो चोल ओढ़ रखा था उस पर गौतम बुद्ध का पैर का चिन्ह बना हुआ था और वह पैर का चिन्ह उसके कुचों अर्थात स्तनों के पास हृदयस्थल में आकर ठहरता था। बताता चलूँ उसके समय में सिंहल में बौद्ध धर्म का प्रभाव था और यह चोल दर्शाता था कि इसे धारण कर उसने भगवान बुद्ध के चरणों को हृदय में स्थान दिया है, किन्तु दृष्टि तो दृष्टि वह भी आततायी शासक की। काल हो गई मिहिरकुल की दृष्टि कि वह श्रद्धा को भी अश्लील समझ बैठा। मिहिरकुल कश्मीर का शासक था उन दिनों। कश्मीर से गुजरात से होकर समुद्री मार्ग से उन दिनों व्यापार हुआ करता था। कोई सिंहल व्यापारी ही उसे रानी को भेंट कर गया था। संभलकर आजकल पग पग मिहिरकुलों से पटा पड़ा है।
इनका वश चले तो ये गायत्री मंत्र से धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् को बदलवा दें। आम के संस्कृत पर्याय चूतम् का भी निषेध करा दें। वाल्मीकि रामायण का तो पढ़ना ही बन्द हो जायेगा जिसमें बोलने अथवा कहने के अर्थ में सैकड़ों बार चोदयति शब्द का प्रयोग किया गया है। बन्धु नजर में ही दोष आ गया है आजकल। जो है सो अच्छा ही है।
अरे! जहाँ विचार प्रदूषित हो जाते हैं वहाँ कुछ भी हो सकता है।
ऐसे मत बोलिए, मोहतरमा की बहुत पारखी नज़र है। नाराज़ हो जाएंगी।😊😊😊
जवाब देंहटाएंभयभीत लोगों को लेखन छोड़ देना चाहिए। आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद भाई। ☺️☺️☺️
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