आज महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि है। मेरे लिए कोई विशिष्ट महत्व निजी तौर पर तो नहीं है। किन्तु अभी 26 जनवरी को जो लालकिले पर हुआ और जिस तरह से पुलिस ने मामले का सामना किया तो एकबारगी गाँधी जी मेरे लिए महत्वपूर्ण हो गए।
मैं टीवी पर विभिन्न चैनलों के माध्यम से जो लाइव टेलीकॉस्ट देख रहा था तो लग रहा था कि दो चार तो जरूर लाठी डण्डों की चोट से मरे मराये होंगे। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि भारतीय पुलिस अभी भी गाँधीवादी हो सकती है। कोई शातिर पूछ रहा था कि पुलिस क्या कर रही थी, गुण्डे लालकिले तक पहुँच गए। वास्तव में जो यह शातिर चाहता था वह पुलिस ने नहीं किया अस्तु पुलिस को साधुवाद। वरना जो शातिर यह पूछ रहा था कि पुलिस क्या कर रही थी वही शातिर लालकिले के बाहर तिरंगा उतार कर अन्य ध्वज फहराने वाले की लाश पर घड़ियाली आँसू बहाते हुए सरकार व पुलिस से यह सवाल कर रहा होता कि अपना हक माँगने की सजा पिछवाड़े पर गोली।
कोई ऐंकर भी टीवी पर चिल्लाता देखो देखो यह नमो सरकार का किसान विरोधी चेहरा। एक बेकसूर देश भर के किसानों के हक के लिए शहीद हो गया।
राकेश टिकैत के जो आँसू टपके वो सैलाब बन गए होते। नहीं हुआ ऐसा। किसे धन्यवाद दूँ, पुलिस को। नहीं पुलिस तो वही करती है जो उसे आदेश होता है। सत्ता पक्ष के इशारे पर आग उगलती है तो चूड़ियाँ भी पहन लेती है। क्या आदेश था राम जाने। काश आज गाँधी जी होते तो लालकिले पर अन्य झण्डे के फहरते और हिंसा फैलते देखते तो कहते जो हुआ उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेता हूँ और असहयोग आंदोलन की तरह यह आंदोलन भी स्थगित करता हूँ।
राष्ट्र पिता को शत-शत नमन।
जवाब देंहटाएंनमन।
हटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन वाह ! बहुत सुंदर कहानी,
जवाब देंहटाएंPoem On Mother In Hindi
ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार, किन्तु यह कहानी नहीं है।
हटाएंविमल भाई, गाँधी जी आदर्शों के शिखर और
जवाब देंहटाएंकिसानों के सच्चे हितैषी थे, जबकि आजके कथित आंदोलनकारी मात्र गुंडागर्दी कर सत्ता में अपनी जगह बनाने की कवायद कर रहे हैं। उनमें इतना नैतिक बल कहाँ जितना गांधी जी में था। गाँधी जी को तो चम्पारण के किसान आंदोलन ने महात्मा का ख़िताब दिया था। सुंदर आलेख के लिए शुभकामनाएं🙏🙏
इतनी विस्तृत टिप्पणी व समर्थन के लिए सादर आभार। नमन बहन।
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